Glorious Chauhans of Ajmer – अजमेर के चौहानों की वंशावली भाग – 1

Chauhans of Ajmer

अजमेर के चौहान (Chauhans of Ajmer)

अजमेर के चौहान (Chauhans of Ajmer): इन्हें शाकम्भारी के चौहान भी कहा जाता है l अजमेर के चौहान वंश का सम्बन्ध जांगलदेश, सपाद्लक्ष तथा अहिछत्रपुर आदि स्थानों के साथ मिलता है l इनका निवास स्थान बीकानेर, जयपुर और उत्तरी मारवाड़ मिलता है l इन्होंने अपनी राजधानी अहिछत्रपुर (नागौर) को बनाया l

कई ग्रन्थ व अभिलेखों का अध्ययन करने के बाद हमें इनकी कई शाखाएं मिलती है:

  1. शाकम्भरी के चौहान (अजमेर के चौहान) या सपादलक्ष के चौहान
  2. लाट के चौहान
  3. प्रतापगढ़ के चौहान
  4. जाबालिपुर के चौहान
  5. रणथम्भौर के चौहान
  6. नाडौल के चौहान आदि l

इस लेख में अजमेर के चौहान वंश (शाकम्भरी/साम्भर) का वर्णन दिया गया है l

वासुदेव चौहान:

शाकम्भरी के चौहानों का आदिपुरुष वासुदेव चौहान को माना जाता है जिसने 551 ई. के आसपास शाकम्भरी में चौहान राजवंश की नींव डाली थी l इस बात का प्रमाण हमें बिजौलिया अभिलेख से मिलता है l Chauhans of Ajmer

  • इसने अहिछत्रपुर (नागौर) को अपनी राजधानी बनाया l
  • सांभर झील का निर्माण करवाया l
  • इसे चौहानों का आदिपुरुष माना जाता है l

इसके बाद कई चौहान शासक हुए जिनके बारे में हमें विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है l फिर भी कुछ शासकों के नाम दिए गए हैं उन्हें आप देख सकते हैं l जैसे; जयराज, विग्रह्राज, चन्द्रराज, दुर्लभराज आदि l

ऐसा माना जाता है कि चौहान प्रारंभ में गुर्जर प्रतिहारों के सामंत थे l गुवक प्रथम के बारे में एक जानकारी मिलती है कि इसने चौहानों को प्रतिहारों से मुक्त करवाया l

वाक्पतिराज प्रथम:

इसके बारे में पृथ्वीराज विजय नामक ग्रन्थ (जयनक द्वारा रचित) में उल्लेख मिलता हैl यह चौहानों का प्रथम शासक था जिसने महाराज की उपाधि धारण की थी l इसका कन्नौज के प्रतिहारों के साथ संघर्ष होना बताया गया है तथा उसमे इसे विजयी बताया गया है l Chauhans of Ajmer

वाक्पतिराज के बाद विन्ध्यराज तथा विन्ध्यराज के बाद सिंहराज शासक बना l सिंहराज वाक्पतिराज प्रथम का पुत्र था जिसने ‘महाराजाधिराज‘ की उपाधि धारण की थी l

विग्रहराज द्वितीय:

विग्रहराज द्वितीय अपने पिता सिंहराज की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठा l इसका शासन दसवीं शताब्दी के मध्य माना गया है l उसने ‘खुर राजोंधकर’ उपाधि धारण की l इसने भडोंच में अपनी कुलदेवी आशापुरा माता का मंदिर बनवाया l Chauhans of Ajmer

विग्रहराज द्वितीय के बाद कई शासकों के बारे में जानकारी मिलती हैl जिनमें प्रमुख है: दुर्लभराज द्वितीय, गोविन्दराज तृतीय, वाक्पतिराज द्वितीय, वीर्यराम, चामुंडराज, दुर्लाभ्राज तृतीय, वीरसिंह, विग्रहराज तृतीय, पृथ्वीराज प्रथम आदिl

अजयराज:

अजयराज पृथ्वीराज प्रथम का पुत्र था l इसके काल को ‘चौहानों के साम्राज्य का निर्माण काल’ (गोपीनाथ शर्मा के अनुसार) माना जाता है l

  • इसने मालवा के परमार शासक नरवर्मन को हराया तथा उसके सेनापति सुलहण को बंदी बनाया l
  • इसने 1113 ई. में अजमेर नगर बसाया तथा उसे अपनी राजधानी बनाया l
  • गढ़बीठली दुर्ग (तारागढ़ दुर्ग) का निर्माण करवाया जो अजमेर में स्थित है l
  • इसने अजयप्रिय द्रम्म नामक चांदी के सीके चलाये l
  • अपना साम्राज्य अपने पुत्र अर्नोराज को सौंपा तथा पुष्कर चला गया l

आर्णोराज:

यह अजयराज का पुत्र था l यह 1133 ई. में अजमेर का राजा बना l ‘महाराजाधिराज परमेश्वर परमभट्टारक’ इसकी प्रमुख उपाधि थी l

  • इसने आनासागर झील का निर्माण करवाया l
  • पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया l
  • देवबोध व धर्मघोष इसी राजा के समय के विद्वान थे l
  • इसके पुत्र जग्गदेव ने इसकी ह्त्या कर दी तथा गद्दी पर बैठा l

विग्रहराज चतुर्थ:

विग्रहराज चतुर्थ को बीसलदेव चौहान भी कहा जाता है l इसने 1158 से 1163 ई. तक शासन किया l Chauhans of Ajmer

  • इसने गजनी के शासक खुशरुशाह, दिल्ली के तोमर वंशीय शासक तंवर तथा भंडानकों को पराजित किया l
  • इसे साहित्यकारों का आश्रयदाता कहा जाता है l Chauhans of Ajmer
  • सोमदेव इसका दरबारी कवि था l सोमदेव ने ‘ललितविग्रहराज’ नाटक की रचना की l
  • ‘कवि बांधव’ विग्रहराज चतुर्थ की उपाधि थी जो उसे ‘जयानक भट्ट’ द्वारा दी गयी थी l
  • विग्रहराज चतुर्थ ने ‘हरिकेली’ नाटक की रचना कीl
  • उसने अजमेर में एक ‘संस्कृत पाठशाला’ का निर्माण करवाया जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने ‘अढाई दिन के झोंपड़े’ में बदल दिया l कुतुबुद्दीन ऐबक गजनी के मुहम्मद गौरी का सेनापति था l
  • उसने टोंक में बीसलपुर क़स्बा बसाया तथा इसी नाम से एक बाँध (बीसलपुर बाँध) बनवाया l
  • इसने मलेछों को कई बार पराजित किया l Chauhans of Ajmer
  • इसके काल को ‘चौहानों का स्वर्णयुग’ कहा जाता है l

विग्रह्राज चतुर्थ के बाद अपरगांगेय, पृथ्वीराज द्वितीय ने शासन किया l पृथ्वीराज द्वितीय के बाद सोमेश्वर चौहान राजा बना l

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