Legendary Fabulous Chauhans of Ajmer History – अजमेर के चौहानों की वंशावली भाग – 2

Chauhans of Ajmer History
Chauhans of Ajmer History

अजमेर के चौहान वंश का इतिहास Chauhans of Ajmer History

अजमेर के चौहान वंश के इतिहास (Chauhans of Ajmer History) के बारे में हमने पिछले (भाग – 1) लेख में वर्णन किया था l चौहानों के इतिहास से सम्बंधित यह दूसरा लेख है l

पिछले लेख में अजमेर के चौहान वंश के प्रतापी शासक विग्रहराज चतुर्थ तक का वर्णन है इसमें उससे आगे का वर्णन है l

सोमेश्वर चौहान:

पृथ्वीराज द्वितीय के कोई संतान नहीं थी तो उसकी मृत्यु के बाद सोमेश्वर ने अजमेर का शासन संभाला l (नोट: सोमेश्वर पृथ्वीराज द्वितीय के चाचा अर्णोराज का सबसे छोटा पुत्र था l

  • उसकी पत्नी कलचुरी नरेश अचल की बेटी कर्पूरीदेवी थी l जिससे दो संतानें उत्पन्न हुई; पृथ्वीराज तृतीय तथा हरिराज l
  • बिजौलिया अभिलेख के अनुसार इसकी उपाधि ‘प्रतापलंकेश्वर’ थी l

पृथ्वीराज तृतीय (पृथ्वीराज चौहान):

अपने पिता सोमेश्वर की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान गद्दी पर बैठा l ‘टॉड राजस्थान’ तथा पृथ्वीराज रासो के अनुसार पृथ्वीराज दिल्ली के अनंगपाल की बेटी ‘कमलावती’ का बेटा था l Chauhans of Ajmer History

  • यह अजमेर के चौहान वंश का अंतिम शासक था l
  • इसने 11 वर्ष की आयु में अजमेर का शासन संभाला l (मुख्यमंत्री कदम्बवास तथा माता कर्पूरी देवी का सहयोग रहा)
  • पृथ्वीराज ने भंडानकों का दमन किया तथा अपना राज्य विस्तार ‘दिल्ली’ तक किया l
  • 1182 ई. के आसपास महोबा के चंदेलों ( शासक – पर्मर्दीदेव) हराया तथा वहां अधिकार कर लिया l इसमें पर्मर्दीदेव के दो सेनापति ‘आल्हा’ व ‘ऊदल’ मारे गए l
  • पृथ्वीराज तृतीय ने गुजरात के चालुक्यों को हराया l चौहानों का चालुक्यों के साथ संघर्थ सोमेश्वर के समय से ही चल रहा था l पृथ्वीराज तथा गुजरात के चालुक्य शासक भीमदेव द्वितीय के मध्य यह संघर्ष इसलिए हुआ कि ये दोनों ही आबू के शासक सलख की बेटी ‘इच्छिनी‘ से विवाह करना चाहते थे l
  • पृथ्वीराज तृतीय का दिल्ली के विजयचन्द्र गहड़वाल के साथ युद्ध हुआ l जिसमें विजयचन्द्र को हार का सामना करना पड़ा l

संयोगिता से विवाह:

पृथ्वीराज तृतीय तथा जयचंद गहड़वाल की पुत्री संयोगिता आपस में एक दुसरे से प्रेम करते थे l जयचंद के द्वारा राजसूय यग के दौरान जयचंद द्वारा अपनी पुत्री को स्वयंवर का अवसर दिया गया जिसने पृथ्वीराज के साथ शादी कर ली और पृथ्वीराज उसे ले गया l इस घटना की ऐतिहासिकता पर सभी विद्वान एक मत नहीं है l सिर्फ कुछ विद्वान ही इस घटना को सत्य मानते है l Chauhans of Ajmer History

तराइन का युद्ध:

पृथ्वीराज तृतीय तथा मुहम्मद गौरी के मध्य दो महत्वपूर्ण युद्ध हुए l

तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.):
  • तराइन का प्रथम युद्ध मुहम्मद गौरी जो गौर – वंश का शासक था, पृथ्वीराज चौहान के साथ हरियाणा के करनाल के पास तराइन नामक स्थान पर युद्ध किया l इस युद्ध में मुहम्मद गौरी की बुरी तरह हार हुई तथा वह वापस गजनी भाग गया l
  • पृथ्वीराज के सेनापति गोविन्दराज मुहम्मद गौरी को घायल किया था l Chauhans of Ajmer History
  • इस युद्ध में पृथ्वीराज तृतीय ने मुहम्मद गौरी के सेनापति काजी जियाऊद्दीन को कैद कर लिया l तथा बाद में किसी शर्त पर उसको रिहा किया l
तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.):
  • 1192 ई. में मुहम्मद गौरी अपनी पिछली हार का बदला लेने के लिए फिर उसी मैदान में आ धमका l
  • इस युद्ध में पृथ्वीराज की हार हुईl तथा उसके समरसिंह और गोविन्दराज मारे गए l
  • पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया गया l और कहा जाता है कि मुहम्मद गौरी उसे गजनी ले गया l
  • इसी के साथ दिल्ली पर मुहम्मद गौरी का अधिकार हो गया l Chauhans of Ajmer History
  • मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज के पुत्र को अजमेर की गद्दी पर बैठाया l
  • पृथ्वीराज तृतीय को ‘अंतिम हिन्दू सम्राट‘ व ‘रायपिथौरा‘ के नाम से भी जाना जाता है l
  • पृथ्वीराज ने ‘दलपंगुल‘ की उपाधि धारण की l
अन्य महत्वपूर्ण लेख:
  1. अजमेर के चौहानों की वंशावली भाग – 1

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